तन्हाई के पलों में, मैं अपने आप से बातें करता हूँ, जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। आजकल वो सड़क भी तनहा हो गई, जब से तुम ने वहां से गुज़रना बंद कर दिया। राहत इंदौरी की शायरी पढ़कर युवाओं में उर्दू साहित्य को लेकर https://youtu.be/Lug0ffByUck